आने वाला कल बस एक सपना है,कभी कभी यादों में खो जाता हूँ और बीते सालों को, अब जब स्लो मोशन में देखता हूँ तो - टीवी पर दिखाए क्रिकेट के टेलीकास्ट की तरह खिलाड़ी के फुटवर्क, जल्दी चलाये शॉट्स या और बाकी बारीकियों की तरह - अपने ज़िंदगी के हरेक वो दौर याद आने लगते हैं जिसने जिंदगी को अनेक दिशाएं दी।
गुज़रा हुआ कल बस एक अपना है,
हम गुज़रे कल में रहते हैं,
यादों के सब जुगनू जंगल में रहते हैं।
(कैफ़ी आज़मी के लेखनी से "फिर तेरी कहानी याद आयी" चल-चित्र की गीत)
आज से ३० साल पहले की ज़िंदगी की कल्पना करने से ऐसा एहसास होता है - जैसे रंगीन टीवी के दौर में कोई B&W सिनेमा को देखने का प्रयास किया जा रहा है। स्कूल से निकल कर +2 या इंटरमीडिएट में आने के बाद हकीकत की दुनिया में सहमे सहमे से कदम अभी रखना शुरू ही किया था कि आने वाले दुनिया की कल्पना मात्र से रातों के नींद उड़ने लगी थी। उन दिनों जब अपने इर्द गिर्द के बेरोजगारों की समस्या और उन सबके बीच इन्जिनीयरिंग या मेडिकल की पढाई करने वाले के उज्जवल भविष्य को देखते थे तो स्वयं - प्रेरित होकर या डर से- पढाई को बहुत गंभीरता से लेने लगे थे!
इतने सालों के बीत जाने के बाद अब तो BIT कैंपस में बिताये चार सालो की यादें भी धूमिल सी होने लगी है -पर उस से पहले का कैंपस तक के आने का सफर भी काफी लम्बा और रोचक था।
BIT के कैंपस आने के पहले हमलोग आने वाले चुनौतियों से बिल्कुल अनभिज्ञ से थे। आज भले उन दिनों को याद कर हम सिर्फ मुस्करा के आगे बढ़ जाए, पर उन दिनों सभी मंज़िलों को एक-एक कर पार करते जाना "सफलता के सोपान (step)" की तरह था और हर कदम पर हम परिपक्व होते गए।
यह पूरा सफर तारे के जीवन-काल की तरह है, जो फॉर्म भरने के साथ Nebula के उत्पत्ति से शुरू हुआ, जो विभिन्न अवस्थाओं को पार करते हुए, आगे चल कर एक परिपक्व तारा बन गया और कैंपस में पहुंचे अनेकों तारे मिल कर BIT 86 परिवार बन गए जो एक Black Hole की तरह है जहाँ से - nothing can escape from it और जिसकी - density cannot be measured!
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